इस्लामिक संस्था जमीयत उलमा-ए-हिंद ने बुलडोजर की कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। बता दें कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश में हिंसा व आपराधिक घटनाओं में शामिल होने के संदेह से लोगों की संपत्तियों पर बुलडोजर चलाए जाने के खिलाफ यह याचिका दायर की गई है।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने याचिका में मुस्लिमों के खिलाफ होने वाली बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक लगाने की अपील की है। जमीयत उलमा ए हिंद ने कहा है कि आपराधिक मामलों में शामिल मुस्लिम समुदाय के लोगों के घरों, मकानों को गिराये जाने को मुसलमानों के खिलाफ साजिश बताया है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा है कि कोर्ट के आदेश के बाद ही इस तरह की कार्रवाई हो। याचिका में कहा गया है कि कोर्ट ऐसी कोई स्थायी त्वरित कार्रवाई नहीं करने का निर्देश जारी करे। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कोर्ट से मांग की है कि किसी आवासीय आवास को दंडात्मक रूप में ध्वस्त नहीं किया जा सकता है।
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने अपने एक ट्वीट में लिखा है कि विभिन्न राज्यों में मुसलमानों की संपत्ति पर बुलडोज़र चलाने के खिलाफ जमीअत उलमा-ए-हिन्द सुप्रीमकोर्ट पहुंची है। आज अल्पसंख्यक ही नहीं बल्कि देश का संविधान और लोकतंत्र भी खतरे में हैं।
वहीं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका को लेकर मौलाना मदनी ने लिखा, “जमियत उलमा-ए-हिंद ने बुलडोजर की खतरनाक राजनीति, जो अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमानों को तबाह करने के लिए शुरू की गई है। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई।”
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने से पहले जमीयत उलेमा ए हिंद ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी पत्र लिखा था। इसमें अमित शाह से मुस्लिमों के घरों और बाकी सम्पत्तियों पर बुलडोज़र चलाये जाने को चिंता का विषय बताया था। पत्र में कहा गया कि मुसलमानों की संपत्तियों को टारगेट किया जा रहा है।
बता दें कि यूपी में बीते कुछ समय से अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर की कार्रवाई जारी है। वहीं अब मध्य प्रदेश में भी बुलडोजर के जरिए कार्रवाई देखी जा रही है। बता दें कि रामनवमी के मौके पर मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में निकाली गई शोभायात्रा पर पथराव और आगजनी की घटना सामने आई थी। इसके बाद आरोपियों के घरों-दुकानों को जिला प्रशासन ने जमींदोज कर दिया है।