मोतिहारी के एक छोटे से परिवार से आये संजीव कुमार झा (Sanjeev K Jha) ने नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स में झंडे गाड़ दिए। संजीव कुमार झा द्वारा लिखी ‘सुमी’ (Sumi) को 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उनकी मराठी फिल्म सुमी ने सिर्फ एक नहीं बल्कि दो नेशनल अवॉर्ड्स अपने नाम किए हैं। अमोल गोले के डायरेक्शन में बनी फिल्म को इतने बड़े मंच पर बेस्ट चिल्ड्रन फिल्म अवार्ड से नवाज़ा गया तो वही फिल्म की कलाकार को बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट का अवार्ड भी मिला है। इस कहानी की भाषा भले ही मराठी हो, लेकिन यह देश की सभी लड़कियों की कहानी है।
नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स जीतने वाली फिल्म सुमि में क्या है खास?
आम जीवन से जुड़ी सुमि फिल्म की कहानी दिल को छूने वाली है। इसकी कहानी एक ऐसी लड़की की है, जिसे आगे पढ़ने के लिए साइकिल की जरूरत होती है। फिल्म में पढ़ाई को लेकर बच्ची और उसके परिवार का संघर्ष दिखाया गया है।
बिहार के छोटे से गांव मोतिहारी के संजीव की शुरुआती शिक्षा ढाका में हुई। मुजफ्फरपुर एलएस कालेज से 12वीं करने के बाद उन्होंने दिल्ली के जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय से साहित्य विषय से ग्रेजुएशन किया। फिल्म ‘जबरिया जोड़ी’ के लेखक संजीव कुमार झा ने बताया कि “उन्हें सुमी की कहानी लिखने की प्रेरणा खुद के शुरुआती जीवन से मिली। ये कहानी मेरे दिल के बहुत करीब है। मैंने अपने बचपन को याद करके ये कहानी लिखी है। बिहार में मैंने अपनी शुरुवाती पढ़ाई की। मेरा वो साइकिल से स्कूल जाना। 20 बच्चों का झुंड जा रहा है जिसमें 1 लड़की है जिसके हाथ में साइकिल है बाकि 19 लड़के। उस समय मेरे दिमाग में आता था कि हम लोग 19 हैं और ये एक है। बाकी लड़कियां पढ़ने क्यों नहीं आती? बाद मे आगे पढ़ाई के दौरान मैंने इसपर रिसर्च की। रिसर्च में मैंने पाया कि लड़कियों के ड्रॉपआउट की संख्या बहुत है। इन्ही परिस्थितियों ने मुझे इस फिल्म की कहानी लिखने को प्रेरित किया।”
आपको बता दे कि लेखक संजीव कुमार झा द्वारा लिखित ‘बारोट हाउस’ वेब सीरीज जी-5 ओटीटी प्लेटफार्म पर स्ट्रीम हो चुकी है। फ़िलहाल वे एक बायोपिक फिल्म पर काम कर रहे हैं। संजीव द्वारा लिखी गयी बॉलीवुड फिल्म जबरिया जोशी को भी दर्शकों ने खूब पसंद किया गया था।