उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मायावती ने एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को समर्थन देने का एलान किया है। वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा ने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को सपोर्ट करने का फैसला लिया है। बसपा के एलान के बाद जहां धनखड़ की दावेदारी और मजबूत हो गई है, वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा के समर्थन से मार्गरेट की स्थिति पहले से थोड़ी ठीक हो गई. मायावती ने ट्विट कर उपराष्ट्रपति चुनाव में धनखड़ को समर्थन देने का एलान किया। हालांकि, अभी भी कुछ दलों ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
राजनीतिक विश्लेषक की माने तो धनखड़ को समर्थन देने के पीछे बसपा सुप्रीमो मायावती का सियासी गणित है। जो वह विधानसभा चुनाव में हारने के बाद से मजबूत करने में जुटी हैं। पहला कारण जातिगत समीकरण मजबूत करना हो सकता है वही दूसरा विपक्ष से नाराजगी हो सकती है दरअसल विपक्ष ने जब-जब बैठक की है, बहुजन समाज पार्टी को नहीं बुलाया गया है। इस एलान से मायावती अपनी नराजगी भी जाहिर कर ना चाहती हैं। इसके साथ ही मायावती उपराष्ट्रपति चुनाव में जगदीप धनखड़ को समर्थन देने का एलान करके विपक्ष को यह बताना चाहती हैं कि भले ही उनका समय खराब चल रहा है, लेकिन अभी वह कमजोर नहीं हुई हैं।
वही इसका एक कारण भाजपा को लेकर मायावती का सॉफ्ट रवैया भी हो सकता है पॉलिटिक्स एक्सपर्ट प्रो. अजय सिंह कहते है कि भले ही सार्वजनिक तौर पर मायावती कहती हैं कि वह भाजपा से नहीं डरती हैं, लेकिन उनके फैसलों और बयानों से काफी कुछ खास होता है। जहां एक तरफ विपक्ष भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ खुलकर लड़ाई लड़ता है, वहीं मायावती के बयान काफी सॉफ्ट नजर आते हैं। मायावती भाजपा के खिलाफ ज्यादा हमलावर नहीं दिखती हैं।