नई दिल्ली: पीएम मोदी ने बुधवार को कोरोना महामारी को लेकर हुई बैठक में पेट्रोल-डीजल का मुद्दा उठाया। उन्होंने कई राज्यों को खूब खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने बताया कि पेट्रोल-डीजल पर केंद्र सरकार कितना टैक्स लेती है और राज्य कितना वैट ले रहे हैं। उन्होंने तो यह भी कहा कि जो रेवेन्यू सरकार के पास आता है, उसका भी 42 फीसदी राज्यों के ही पास चला जाता है। ऐसे में उन्होंने राज्यों से वैट कम कर के नागरिकों के लिए डीजल-पेट्रोल को सस्ता करने का कदम उठाने का आग्रह किया। अब सवाल ये उठता है कि राज्य इतना सारा टैक्स का पैसा क्यों ले रहे हैं? आइए आपको बताते हैं डीजल-पेट्रोल पर टैक्स की पूरी कैल्कुलेशन और समझने की कोशिश करते हैं कि कौन काट रहा है आपकी जेब?
कौन ले रहा है कितना टैक्स?
अगर राजधानी दिल्ली को मानक मानते हुए देखा जाए तो इंडियन ऑयल पर मौजूद 16 अप्रैल 2022 के आंकड़ों के मुताबिक पेट्रोल में करीब 53 फीसदी हिस्सा (56.32 रुपये) तो उसका बेस प्राइस है। इसके अलावा 16 फीसदी वैट (17.13 रुपये) और 27 फीसदी केंद्रीय उत्पाद शुल्क (27.90 रुपये) है। इसके अलावा बचा हुए 4 फीसदी डीलर कमीशन (3.86 रुपये) और फ्रेट (0.20 रुपये) है। यानी दिल्ली में तो राज्य से अधिक टैक्स केंद्र के पास जाता है। एक शख्स ने ट्विटर पर पूरा कैल्कुलेशन शेयर किया है।