उत्तर प्रदेश में भगवा सरकार के 2.0 कार्यकाल के 100 दिन पूरे हुए, लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस हुई जिसमे योगी सरकार की उपलब्धियां गिनाई गयीं। लेकिन वही बीते बुधवार की संभल वाली घटना सामने आई जिसमे एक किशोरी जिसकी उम्र सिर्फ 14 वर्ष थी, उसको उसी के घर में घुस कर मार दिया गया। रात आँगन में सोती एक किशोरी को उसी के पड़ोसी गाव के युवक ने गोली मर के हत्या कर दी। किशोरी के पिता का दावा था की युवक जमीनी विवाद के चलते घर में उसे गोली मारने आया था, और गलती से उसकी 14 साल की बेटी को गोली मार कर चला गया।
ऐसी खबरे कानून व्यवस्था बेहतरी के दावे पर सवाल उठाती नज़र आती है। ऐसी ही एक और ख़बर हैं, बागपत के छपरौली कसबे की जहाँ दिल्ली विकास प्राधिकरण से रिटायर्ड एक कर्मी के बेटे की गला दबा कर हत्या कर दी गयी थी। ये मामला बहुत चर्चा में भी आया था। परिजनों और ग्रामीणो ने पुलिस थाने का घेराव किया था एक खबर गोरखपुर के पादरी बाज़ार से भी रही थी जिसमें एक युवक की हत्या हुई लेकिन आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई। परिजनों ने सड़क जाम किया, उसके बाद आरोपियों की तलाश शुरू की गयी।
ऐसे ही मुजफ्फरनगर के खतौली में एक बच्ची की हत्या हुई, जब न्याय नहीं मिला तो परिजन और ग्रामीणों ने शव को सड़क पर रखकर प्रदर्शन किया। जिसके बाद जाम लग गया और जाम खुलवाने के लिये पुलिस ने लाठियां चलायी।
उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित लड़की के साथ हुए रेप और फिर लड़की के बयान के बाद, उसकी मौत और फिर रातों रात लड़की का अंतिम संस्कार कर दिया गया, जो की परिजनों की मंजूरी के साथ नहीं था। ऐसी खबरे हैं, जो दिखाती है की अभी भी यूपी में व्यवस्थाये आपराध के मामले ने कारगार नहीं हैं। अभी भी अपराधी खुले आम घटना को अंजाम दे रह हैं। अभी भी प्रदेश में और बेहतर कार्यप्रणाली की ज़रूरत है।