पिछले कुछ महीनों से प्रवर्तन निदेशालय यानि ईडी पर बहुत आरोप लग रहे हैं। ऐसे आरोप लगते हैं की ईडी सरकार के इशारे पर नेताओं को फंसा रही है। अभी TMC नेता पार्थ को ईडी ने हिरासत में लिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी और पूर्व अध्यक राहुल गाँधी भी ईडी के घेरे में हैं वही कंग्रेस ने आरोप लगाए थे कि ईडी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी को जो समन भेजा है वो राजनैतिक वजहों से भेजा गया।
ईडी जब भी एक्शन लेती है तो उस पर ये कहकर राजनीति होती है कि वो सरकार के इशारे पर ऐसा कर रही है। लेकिन सिर्फ राहुल गांधी या सोनिया गांधी की बात नहीं है। हाल ही में कई बड़े नेताओं के खिलाफ ईडी ने एक्शन लिया है। क्या 2014 के बाद ईडी की कार्यपद्धति में बदलाव हुए हैं? ईडी पहले कैसे काम करती थी और 2014 के बाद से कैसे काम कर रही है? आपको बताते हैं
2005 से 2014 तक संपत्ति जब्त के मामले में, हर साल औसतन 534 करोड़ रुपये लिए गए थे, वही 2014 से 2022 तक मोदी सरकार में हर साल औसत 11,929 करोड़ रुपये जब्त हुए। प्रॉपर्टी सीज करने के मामले 22 गुना बढ़ गए। 2005 से 2014 तक मनमोहन सरकार सरकार में ईडी की कुल छापेमारी 112 हुई, 2014 से 2022 तक मोदी सरकार में कुल छापेमारी मामले 2,974 रहे हैं। मनमोहन सरकार में कुल प्रॉपर्टी जब्त 5346 करोड़, और मोदी सरकार में कुल प्रॉपर्टी जब्त 95,432 करोड़ है। वही शिकायत पर एक्शन 104 मनमोहन सरकार में, और मोदी सरकार में शिकायत पर एक्शन 839 है।
Written By
Vaishali Rastogi