बिहार में अब अगर किसी भी गांव में बाल विवाह हुआ तो मुखिया जी की शामत आ सकती है। इतना ही नहीं अगर दहेज़ लेन-देन की खबर भी सामने आई तब भी मुखिया जी की खटिया खड़ी हो सकती है। जी हाँ, बाल विवाह और दहेज प्रथा के लिए मशहूर बिहार में सरकार अब नया नियम लेकर आई है। दहेज का लेन-देन और बाल विवाह को रोकने की नई जिम्मेदारी अब मुखिया जी को दी गई है। इस समस्या को लेकर पंचायती राज विभाग की ओर से एक पत्र जारी किया गया है, जिसमें बाल विवाह और दहेज उन्मूलन में मुखिया और अन्य जनप्रतिनिधियों की भूमिका तय की गई है।
बिहार में पंचायती राज विभाग के मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि बाल विवाह और दहेज प्रथा गंभीर सामाजिक बुराई है. इसे दूर किए बिना सशक्त समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है. लिहाजा पंचायती राज विभाग की ओर से निर्देश जारी कर साफ तौर पर कहा गया है कि अगर किसी भी गांव से बाल विवाह की खबर मिलती है, तो संबंधित मुखिया को इसके लिए जिम्मेदार समझा जायेगा.
सरकार के निर्देशों के मुताबिक मुखिया को बाल विवाह की सूचना प्रखंड विकास पदाधिकारी तथा अनुमंडल पदाधिकारी, और बाल विवाह निषेध पदाधिकारी को देनी होगी। यानी मुखिया जी को अब बाल विवाह रुकवाने का काम करना होगा। इसके अलावा दहेज लेन-देन से संबंधित मामले की जानकारी भी जिला कल्याण पदाधिकारी को देनी होगी।
मुखिया को विवाह पंजीकरण का दायित्व बिहार विवाह पंजीकरण नियमावली, 2006 के तहत दिया गया है। विवाह पंजीकरण के लिए शादी का वैध होना अनिवार्य है। पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत हर वैध शादी का पंजीकरण करना मुखिया और पंचायत सचिव के लिए अनिवार्य होगा।
पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि सरकार बाल विवाह और दहेज उन्मूलन के लिए पंचायतों में अभियान चलाएगी। अगर फिर भी ऐसी शिकायत मिलती है, तो सरकार संबंधित पंचायत के मुखिया और वार्ड सदस्यों को हटाने के लिए भी कार्रवाई शुरू करेगी।
मैरिज सर्टिफिकेट की ज़िम्मेदारी मुखिया की तो बाल विवाह रोकने की भी ज़िम्मेदारी भी उनकी
सम्राट चौधरी ने कहा कि आम तौर पर मुखिया गांवों में मैरिज सर्टिफिकेट जारी करते हैं। इसलिए, यह मुखिया की जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने गांव में बाल विवाह को रोकें। उन्होंने कहा कि जिस इलाके से बाल विवाह की सूचना मिलेगी, उसी क्षेत्र के मुखिया को अवैध विवाह के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा। अब देखना होगा कि बिहार सरकार का ये पैतरा कितना काम आता है और कितने हद तक दहेज़ प्रथा और बाल-विवाह पर रोक लगती है।